बुधवार, 5 जनवरी 2011

भारतीय डाक प्रगति पथ पर अग्रसर महानगरों में डाक छंटाई का काम स्वरचालित पद्धति से होगा , राष्ट्रीय पता डाटाबेस प्रबंधन प्रणाली का प्रस्ताव

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 
भारतीय डाक प्रगति पथ पर अग्रसर महानगरों में डाक छंटाई का काम स्वरचालित पद्धति से होगा 
राष्ट्रीय पता डाटाबेस प्रबंधन प्रणाली का प्रस्ताव

भारतीय डाक विश्वल का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क है। देश भर में फैले अपने विशाल नेटवर्क के जरिए यह सभी नागरिकों को किफायती दामों पर डाक सुविधाएं सुलभ कराता है। स्वितंत्रता के समय देश में जहां कुल 23,344 डाकघर थे, वही अब इनकी संख्याह बढ़कर 1,55,035 हो गई है। इनमें से 1,39,173 डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। एक डाकखाना 21.2 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में औसतन 7174 लोगों की सेवा करता है।

प्रोजेक्ट़ ऐरो

भारतीय डाक के व्याकपक और दीर्घकालीन रूपांतरण की आधारशिला रखने के लिए विभाग ने 'प्रोजेक्टी ऐरो' की शुरूआत की है। इसका उद्देश्य7 डाक घर के बुनियादी काम के साथ-साथ उसके माहौल में व्यारपक सुधार लाना है। विभाग के कर्मचारियों के अतिरिक्ता आम जनता ने इस पहल का भारी स्वायगत किया है। जिन डाक घरों में 'प्रोजेक्ट ऐरो' को लागू किया गया है, उनके राजस्वर में उल्लेोखनीय वृद्धि हुई है। इस प्रोजेक्टे को वर्ष 2008-09 के लिए सार्वजनिक प्रशासन में उत्कृमष्टेता के लिए प्रधानमंत्री का पुरस्काकर भी प्राप्तस हुआ है। यह परियोजना अब तक 1530 डाकघरों में लागू की जा चुकी है।

डाक परिचालन

डाक पहुंचाने और वितरण की गुणवत्ताb में सुधार के लिए डाक विभाग ने कई नए कदम उठाए हैं। डाकघरों के मौजूदा डाक नेटवर्क का इष्टधतम प्रयोग करने के लिए मेल नेटवर्क/आप्टिमाइजेशन प्रोजेक्टव शुरू किया गया है। इससे डाक की छंटाई, प्रेषण और वितरण से संबंधित प्रक्रियाओं में सुधार की दृष्टि से उनका बेहतर मानकीकरण किया जा सकेगा।

दिल्लीा, मुंबई, कोलकाता, चेन्नरई, बंगलुरू और हैदराबाद में स्वपचालित रूप से डाक की छंटाई के लिए विभाग ने स्वमचालित डाक प्रोसेसिंग केंद्र (एएमबीसी) स्थाुपित करने की एक परियोजना हाथ में ली है। इस परियोजना से डाक घरों की उत्पाेदकता में वृद्धि होगी।

पूर्वोत्तbर क्षेत्र में डाक, पार्सल और अन्य् आवश्यकक सामग्री के प्रेषण और वितरण के लिए विभाग ने एक समर्पित परिवहन विमान की सेवा लेनी शुरू की है। भारतीय डाक का यह विमान कोलकाता-गुवाहाटी-इम्फाशल-अगरतला-कोलकाता मार्ग पर नियमित रूप से उड़ान भरता है। विभाग के इस कदम से पूर्वोत्त्र क्षेत्र को देश की मुख्य धारा से जोड़ने में मदद तो मिलेगी ही, साथ ही डाक भी लोगों के पास तेजी से पहुंचेगी। विभाग ने राष्ट्रीमय पता डाटाबेस प्रबंधन प्रणाली की स्थाोपना के लिए पहल की है। इसका उद्देश्य जनता/ग्राहकों के पतों के डाटाबेस का प्रभावी प्रबंधन, पतों का ऑनलाइन अद्यतन और सही पता ढूंढने में ग्राहकों की सहायता करना है।

विभाग ने देश के पूर्वोत्तोर क्षेत्र में डाक वितरण प्रक्रिया का मशीनीकरण कर दिया है। इसका उद्देश्यत पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्रों में डाक वितरण में तेजी लाना है। पूर्वोत्तइर क्षेत्र के सभी डाक वाहनों में जीपीएस सुविधा प्रदान की गई है ताकि उनके आवागमन की भली-भांति निगरानी की जा सके।

डाकघरों का कंप्यू टरीकरण एवं नेटवर्किंग

डाकघरों के कंप्यूाटरीकरण एवं नेटवर्किंग की परियोजना के अंतर्गत डाक विभाग ने अब तक 14,324 डाक घरों में कंप्यू टर हार्डवेयर, सहायक सामग्री और वैकल्पिक विद्युत आपूर्ति के उपकरण भेजे जा चुके हैं। 11वीं योजना के तहत 1939 डाकघरों में उच्चय गुणवत्तार वाले कंप्यू टर और सहायक उपकरण लगाए गए हैं।

विस्तृतत क्षेत्र नेटवर्क (डब्यूयूटर ए एन) के तहत 1308 स्थतलों को आपस में जोड़ा जा सका है। सभी प्रधान डाकघरों, प्रशासकीय कार्यालयों, प्रमुख स्पीयडपोस्ट केंद्रों और लेखा कार्यालयों को डब्यूकघरो ए एन के तहत जोड़ा जा चुका है। इसके अलावा 10530 कार्यालयों में ब्रॉडबैंड सुविधाएं दी जा चुकी हैं। 11वीं योजना के अंत तक सभी डाकघरों का कंप्यूंटरीकरण करने की परियोजना पर काम चल रहा है।

डाकघरों के व्याबपक कंप्यूीटरीकरण के कारण अनेक ई-जनित (कंप्यूकटर जनित) सेवाएं शुरू की जा सकी हैं। वे हैं-

आई एम ओ 

देश में कंम्यूrटर के जरिए ऑन लाइन पैसे भेजने की सेवा-आई एम ओ जनवरी 2006 में शुरू की गई थी। इससे प्राप्तसकर्ता को मिनटों में ही पैसे मिल जाते हैं। इस सुविधा के तहत एक बार में एक हजार से लेकर 50 हजार रूपए तक भेजे जा सकते हैं। देश के 9250 डाकघरों में यह सुविधा उपलब्धह है।

ई-मनी आर्डर (ई एम ओ) 

इलेट्रॉनिक पद्धति से मनीआर्डर भेजने की सेवा अक्तू्बर 2008 में शुरू की गई थी। ईएमओ के जरिए मनीआर्डर भेजने पर वही प्रभार लगता है जो साधारण डाक से भेजने पर लगता है। भारतीय डाक ने यू.ए.में ई.एम.ओ. के जरिए पैसे भेजने के लिए अमीरात पोस्टा के साथ द्विपक्षीय समझौता किया है।

ई-पेमेंट

ई-पेमेंट वह सुविधा है जिसके जरिए ग्राहक अपने टेलीफोन, बिजली, नगरपालिका को देय भुगतान, करों आदि का भुगतान डाकघरों में करते हैं। यह सुविधा वर्तमान में देश के 8000 डाकघरों में उपलब्ध है। शीघ्र ही यह सुविधा सभी कम्यूान टरीकृत डाकघरों में उपलब्धघ करा दी जाएगी।

वित्तीशय सेवाएं

भारतीय डाक ग्रामीण क्षेत्रों के 1,39,182 डाकघरों और शहरी क्षेत्र के 15,797 डाकघरों के माध्यीम से वित्ती1य समावेशन के लक्ष्यर को पूरा करने में जुटा हुआ है। डाकघरों के खातों की संख्या 2003-04 में 14.32 करोड़ से बढ़कर 2009-10 में 24.10 करोड़ हो गई है। डाकघरों के बचत खातों में 2009-10 में 58 खरब 37 अरब 89 करोड़ रूपए जमा थे। देश के 11 हजार डाकघरों में बचत खातों का कम्यू टरीकरण किया जा चुका है।

पोस्टbल फाइनेंस मार्ट

पोस्टहल फाइनेंस मार्ट (पीएफएम) एक छत के नीचे सभी वित्तीेय सेवाएं और उत्पाहद मुहैया कराता है। ये मार्ट पूरी तरह से कम्यूछ टरीकृत हैं और ये उच्चा तकनीक से सुसज्जित हैं। इनकी सेवाओं की तुलना प्रतिष्ठित बैंकों की सेवाओं से की जा सकती है। दसवीं योजना के तहत देश भर में 313 पोस्टकल फाइनेंस मार्ट स्थादपित किए गए हैं। ग्यांरहवीं योजना में 500 नए मार्ट खोलने का लक्ष्या रखा गया है।

डाकघर लघु बचत ग्राहकों हेतु कोर बैंकिंग समाधान

कही भी, कभी भी और किसी भी शाखा से बैंकिंग अर्थात कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) को ग्यािरहवीं पंचवर्षीय योजना में शामिल किया गया है और इसके लिए 1 अरब 6 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इस राशि से सीवीएस साफ्टवेयर का विकास, ग्राहक संबंध प्रबंधन, प्रशिक्षण परियोजना प्रबंधन इकाई, केन्द्री कृत बैंक कार्यालय आदि की व्यावस्थाध की जाएगी। इनकी सहायता से डाकघर बचत बैंक और बचत प्रमाण पत्रों के व्य्वसाय को बेहतर ढंग से आगे बढ़ाया जाएगा। लघु बचत योजना के ग्राहकों को भी ए टी एम, इंटरनेट, फोन बैंकिंग आदि की सुविधाएं मिलेंगी।

पीएलआई/आरपीएलआई

डाकघर, डाक जीवन बीमा (पीएलआई) और ग्रामीण डाक जीवन बीमा (आरपीएलआई) के झंडे तले सरकारी और अर्द्ध-सरकारी कर्मचारियों को बीमा सेवाएं भी प्रदान करते हैं। वर्ष 2003-04 में ग्रामीण जीवन बीमा पालिसियों की कुल संख्याप 26.66 लाख थी, जो 2008-09 में बढ़कर 70 लाख और 2009-10 में 99 लाख से अधिक हो गई। डाक जीवन बीमा पालिसियों की संख्‍या 31.3.2010 तक 44 लाख से भी अधिक थी।

प्रीमियम सेवाएं

पूरे भारत में डाक नेटवर्क के माध्यंम से स्पी्ड पोस्टे, बिल मेल सेवा, बिजनेस पोस्टभ, एक्स प्रेस पार्सल पोस्ट , लाजिस्टिक्स पोस्ट>, मीडिया पोस्ट9 और फुटकर डाक आदि की सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। इन प्रीमियम सेवाओं के माध्यटम से 2009-10 में 16 अरब 25 करोड़ रूपए का राजस्वे प्राप्ते हुआ जो वर्ष 2008-09 की तुलना में 13.24 प्रतिशत अधिक था।

डाक नेटवर्क की सुविधाओं से अन्यव योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वजयन (डाक नेटवर्क की लीवरोजिंग) 

राष्ट्री य ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा)- 

डाक नेटवर्क की सुविधाओं का उपयोग विभिन्न< सरकारी योजनाओं के लाभान्वितों के भुगतान आदि के लिए किया जा रहा है। इनमें से कुछ प्रमुख कार्यक्रम इस प्रकार हैं:- 

नरेगा (राष्ट्री य ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के लाभान्वितों को उनकी मजदूरी का भुगतान डाकघर बचत खाते के जरिए ही किया जा रहा है। वर्ष 2006 में आंध्रप्रदेश में शुरू हुई यह योजना 21 राज्यों के 19 डाकवृतों में लागू हो चुकी है। अक्तूपबर 2010 तक देश के 96,895 डाकघरों में करीब 4 अरब 67 करोड़ नरेगा खाते खुल चुके हैं, जिनके माध्यदम से अप्रैल से अक्तूरबर 2010 के बीच 71 अरब 13 करोड़ रूपए वितरित किए गए हैं। 

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वमयन मंत्रालय ने ग्रामीण मूल्यच सूचकांक का निर्धारण करने के लिए आंकड़े इकट्ठा करने का काम, अक्तूंबर 2009 से देश के 1,181 डाकघरों को सौंप रखा है।

रिलायंस मनी लिमिटेड के साथ एक करार के तहत सोने के सिक्केक का विक्रय किया जा रहा है। देश के चुनिंदा डाकघरों में 15 अक्तू्बर, 2008 को शुरू हुई यह सुविधा अब देश के 700 डाकघरों में उपलब्धस है। पहली अप्रैल, 2010 से 30 नवंबर, 2010 तक 421 किलो सोने के सिक्केो बेचे जा चुके हैं।

वृद्धावस्था पेशंन का भुगतान भी डाकघरों से किया जा रहा है। बिहार, छत्ती2सगढ़, दिल्ली , झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्रर, पूर्वोत्तयर और उत्त राखंड में वृद्धावस्था् पेंशन का भुगतान डाकघर बचत बैंक खातों के माध्यीम से और कर्नाटक, केरल राजस्थासन और तमिलनाडु सहित अन्य कुछ राज्योंध में मनीआर्डर के जरिए किया जा रहा है।

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के आवेदनों की ऑनलाइन प्राप्ति

विभाग ने देश भर में 4707 (प्रत्येंक तहसील में कम से कम एक) केन्द्री य सहायक जन सूचना अधिकारी (सीएपीआईओ) मनोनीत किए हैं। कम्यूम ए टरीकृत ग्राहक सेवा केन्द्रों के प्रभारी अधिकारियों को विभाग के सी ए पी आई ओ के तौर पर काम करने के लिए और आर टी आई आवेदनों को प्राप्तं करने के लिए चिन्हित किया गया है। ये लोग उन केन्द्रीईय लोक प्राधिकरणों की ओर से अपील भी प्राप्त कर सकेंगे, जिन्होंलने सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 5 (2) और 19 के अनुसरण में डाकघरों में इस सुविधा का लाभ उठाने की सहमति दी है।

भारतीय डाक का अंतर्राष्ट्रीकय परिचालन

भारतीय डाक अंतर्राष्ट्री य व्यासपार का एक महत्वbपूर्ण माध्यतम है। सामग्री पैसा, और सूचनाओं को व्यारपार के उद्देश्य से विदेशों से लेनदेन में लोगों की मदद करता है।

हाल के दिनों में छोटे-छोटे पैकेटों के आयात निर्यात में भारी वृद्धि हुई है। बाजार की मांग को देखते हुए भारतीय डाक ने अंतर्राष्ट्री य पार्सल सेवा शुरू की है। सुविधा पूर्वक पार्सल भेजने के लिए पैकेटों के मानक निश्चित किए गए हैं।

वर्ल्डभनेट-एक्सैप्रेस

भारतीय डाक ने जर्मनी की राष्ट्री य डाक सेवा ड्यूश पोस्ट के विशिष्ट< सहयोग से वर्ल्ड नेट एक्स-प्रेस नाम की एक प्रीमियम एक्सrप्रेस सेवा भी शुरू की है। इस सेवा के जरिए 200 से अधिक देशों में एक्स प्रेस पार्सल भेजे जा सकते हैं। इसमें इंटरसेट, टेलीफोन और एस एम एस के जरिए पार्सलों की खोज खबर रखने की विशेष व्येवस्था। भी है। विभाग का प्रस्ताजव इस सेवा का और विस्ता र करने का है।

अंतर्राष्ट्री य प्रेषण सेवाएं

देश के सकल घरेलू उत्पााद (जीडीपी) में विदेशों से प्राप्त धन का भारी योगदान है। विश्वल बैंक के अनुमानों के अनुसार 2010 में भारत को विदेशों से भेजे गए धन के रूप में 55 अरब डॉलर की प्राप्ति होगी। इस धन को भेजने के लिए डाकघरों को ही सबसे सुरक्षित और सुविधाजनक माध्य म माना जाता है। भारतीय डाक ने व्यावसाय के इस क्षेत्र के महत्वव को देखते हुए ग्राहको की सेवा के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इनमें वेस्टषर्न यूनियन के जरिए धनराशि का हस्तां तरण, इलेक्ट्रॉ निक मनीआर्डर आदि सेवाएं शामिल हैं। भारतीय डाक ने एमओ विदेश सेवा शुरू की है, जिसके जरिए विदेशों में मनीआर्डर भेजे जा सकते हैं।

ई-कामर्स

नागरिको को बेहतर डाक सेवाओं का लाभ पहुंचाने और व्य वसाय के विविधीकरण के एक क्षेत्र के तौर पर भारतीय डाक ने ई-कामर्स की पहचान प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में की है। ई-पोस्टन ब्रॉड के अंतर्गत एक मार्गदर्शी परियोजना तैयार की जा रही है। राष्ट्री य सूचना विज्ञान निगम (एनआईसी) की तकनीकी सहायता से यह पोर्टल तैयार किया जा रहा है। ई-पोस्टि ऑफिस शुरू-शुरू में मनीआर्डर और स्माहरक टिकटों (संग्रह हेतु) जैसे उत्पा दों के विक्रय का काम करेगा। देश के किसी भी कोने से इंटरनेट के जरिए पोर्टल तक पहुंचा जा सकेगा और मनीआर्डर तथा संग्रहणीय डाक टिकटों की बुकिंग डेबिट अथवा क्रेडिट कार्ड के जरिए की जा सकेगी। बाद में इसका विस्ताथर अन्यड वित्तीशय सेवाओं को लिए भी किया जाएगा।

मानव संसाधन विकास

डाक सेवा जैसे श्रम बहुल सेवा संगठनों में सेवा की गुणवत्तात और ग्राहकों की संतुष्टि में कर्मचारियों की भूमिका बहुत महत्वेपूर्ण होती है। विभाग इस समय भारी बदलाव की प्रक्रिया से गुजर रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से कर्मचारियों के कौशल और दक्षता के उन्नगयन को बड़ा महत्वद दिया जा रहा है। सभी वर्ग के कर्मचारियों के प्रशिक्षण की व्याकपक योजना ग्यािरहवीं योजना में बनाई गई है। 

डाकघरों के प्रबंधन में पेशेवर कुशलता लाने के लिए पोस्टं मास्टनरों (डाकपालों) का एक नया संवर्ग बनाया गया है। यह संवर्ग डाकघरों को जीवंत और ग्राहक हितैषी संगठन बनाने में महत्वंपूर्ण भूमिका तो निभायेगा ही, साथ में इंडिया पोस्टक 2012
की अग्रगामी परियोजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित भी करेगा। इसमें आई.टी के उपयोग और आधुनिकीकरण पर विशेष जोर दिया गया है।

 

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