शनिवार, 1 सितंबर 2007

शुक्रवार को फिर ठप्‍प रही बिजली सप्‍लाई

शुक्रवार को फिर ठप्‍प रही बिजली सप्‍लाई

मुरैना/भिण्‍ड 1 सितम्‍बर शुक्रवार 31 अगस्‍त को चम्‍बल अंचल में सुबह 6 से गुल हुयी बिजली सप्‍लाई पूरे दिन ठप्‍प रहने के बाद देर रात 1 सितम्‍बर को रात 1 बज कर 30 मिनिट पर बहाल हुयी । सुबह से ही बिजली गुल रहने के कारण जहॉं लोग पीने नहाने के पानी को तरस गये वहीं अनेक घरों में तो खाना तक नहीं बना । पानी बिजली के अभाव में दोपहर और रात का खाना नहीं बनने से जहॉं हजारों परिवार भूखे प्‍यासे सोये वहीं नन्‍हे मुन्‍ने बच्‍चे भी बिलख बिलख कर कोहराम मचाते मचाते सो गये ।

अंचल में बरसात न होने के कारण जहॉं इन दिनों भारी सूखा पड़ा हुआ है और विकट गर्मी व मच्‍छरों के कारण डेंगू और चिकनगुनिया भी अंचल में तेजी से फैल गया है ।

लगभग हर घर में इन दिनों लोग अजीब बुखार और बदन दर्द से त्रस्‍त हैं इसके अलावा पेट में ऐंठन दर्द के साथ दस्‍त और वायरल की चपेट में आ गये हैं ।

मुरैना में तो कुछ प्रकरणों में अजीबो गरीब बीमारीयां लोगों में नजर आ रहीं हैं, विख्‍यात ज्‍योतिषी व तंत्रिक पं श्‍याम लाल सारस्‍वत को पहले पीठ में दर्द हुआ वहीं अब उनकी रीढ़ की हडडी में अजीब सी सिकुड़न आ गयी है, पं. श्‍यामलाल की ही तरह उस्‍मानी मस्जिद क्षेत्र में रहने वाली असगरी बेगम को भी यही बीमारी हो गयी है । ग्रामीण क्षेत्रों में इस बीमारी का प्रकोप और भी ज्‍यादा है ।

जहॉं लोग इन दिनों प्रदेश की शिवराज सरकार को कोसने में लगे में हैं वहीं दुआ कर रहे हैं कि प्रभु कब ये बला टले ।       

बिजल प्‍लाई फिर चरमराई

मुरैन 31 अगस्‍त पिछल दस रोज से फिर चम्‍बल अंचल की बिजल गुल है हालात बिजल कटौत के कुछ ऐस हैं कि कह तो सार दिन बिजल आव और कह तो सार रात अंधेर कायम रह अभ पिछल चार रोज से तो हालात ये चल रह हैं कि रात में बिजल दिन में यानि बिजल कटौत इतन सीरियस कि नान स्‍टाप डे एण्‍ड नाइट ब्‍लैक आउट

हालांकि 26 जुलाई से .प्र. विद्युत वितरण कम्‍पनी के इस विशेष कटौत कार्यक्रम की विधिवत कोई घोषण नहीं की गय है और इस किस नियमित चक्र में चलाय जात है यह बाकायद अघोषित अनियमित और बेकाब होत है

चम्बल में विद्युत सप्लाई पूर्णत: ध्वस्त: लगातार तीन दिनों तक ब्लैक आउट

कहाँ तक बयां करें हालात ए गुलिस्तां, यहाँ हर शाख पे उल्लू बैठा है

मुरैना 9 अगस्त 07 ! अंततोगत्वपिछले 26 जुलाई से चम्बल घाटी में कहर मचरहबिजलव्यवस्थअपनचरम पर आकर पूरतीन दिनों के लियपूर्णत: ठप्प हो ही गयी !

उल्लेखनीय है कि विगत 26 जुलाई 07 से चम्बल घाटी की बिजली सप्लाई पूरी तरह चरमरा गयी थी और दिन में पीक वर्किंग टाइम में लगभग 6-7 घएटे तथा रात में करीब 3-4 घण्टे की बेहिसाब अनाप शनाप कटौती चल रही थी, जिसका न समय तय था न कोई घोषणा ही इस मुतल्लिक जारी हुयी थी !

उधर दूसरी ओर सरकार दावा दर दावा ठोकने में लगी थी कि हम बहुत ज्यादा बिजली पैदा कर रहे हैं और अब कोई बिजली संकट नहीं है ! जबकि सच यह है कि चम्बल में धुंआधार कटौती चल रही थी !

अभी हाल ही में दो बड़े बिजली उत्पादन के अडडे जहाँ उदघाटित हुये हैं जिसमें एक लालकृष्ण आडवाणी जी ने किया वहीं दूसरा मुरैना के ऐन निकट ही ग्वालियर जिले में केन्द्रीय मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने किया ! जिसमें दावा यह था कि म.प्र. विशेषकर चम्बल ग्वालियर की बिजली समस्या अब पूर्णत: समाप्त !

उधर भगवान की दया से प्रदेश में बरसात भी अच्छी भली चल रही है, बाढ़ आ रही है, बांधो के इमरजेन्सी गेट खोल कर जरूरत से ज्यादा इकठठा हुआ पानी निकालना पड़ रहा है !

फिर भी बिजली नहीं होना जहाँ हैरत अंगेज और गजब की जादूगिरी है वहीं कुछ चौंकाने वाले सवालों की भी जन्मदाता ! मसलन बिना बिजली मिले म.प्र. की जनता अरबों रूपया की बिल भरपाई वर्ष सनृ 2000 से करती आ रही है ! उल्लेखनीय है कि प्रदेश में एवरेज बिलर्स की संख्या 70 फीसदी है, जिन्हें बिजली मिले या न मिले एक निश्चित औसत राशि बिजली विभाग को देनी ही पड़ती है ! और यह राशि प्रतिमाह करोड़ों रू में और वर्ष 2000 से अब तक अरबों रू में पहुँच चुकी है !

जहाँ सरकार बिजली चोरी और जनता को चोर ठहराने में कोई कसर बकाया नहीं रखती वही अब यह सवाल भी जोरदार है कि बिना बिजली दिये की गयी अरबों रू की यह वसूली क्या नाहक नहीं है ? और क्या सरकार चोर नहीं है ? जिसने जनता की जेब पर डाका डाला है ! सरकार में यदि भलमनसाहत है तो पहले तो उनका पैसा लौटाये जिन्होंने इतने वर्ष तक बिना बिजली मिले भी पूरा बिल भुगतान किया है, उनकी बिजली तो कटी लेकिन बिलों में कटौती या उनकी धन वापसी की बात अभी तक क्यों नहीं हुयी ! यह सवाल यक्ष प्रश्न है, जिसका उत्तर सरकार को जनता को चोर कहने से पहले अनिवार्यत: देना होगा, तभी जनता के गले बात उतरेगी, वरना जनता आपको चोर कहती रहेगी, और आप जनता को !

विगत सोमवार 6 अगस्त से 8 अगस्त जो चम्बल में बिजली सप्लाई का जो कहर हुआ वह न केवल शर्मनाक बल्कि संभवत: म.प्र. के इतिहास में पहली बार हुआ जबरदस्त बलैक आउट है ! जिसमें 6 अगस्त सुबह से लेकर सारे दिन और सारी रात फिर 7 अगस्त को सारा दिन और सारी रात फिर 8 अगस्त को दोपहर 12 बजे तक लगातार सप्लाई ठप्प यानि पूर्णत: बन्द यानि ब्लैकआउट ! फिर दोबारा 8 अगस्त को शाम 4 बजे से रात 7:45 बजे तक पुन: सप्लाई बन्द ! गजब, अदभुत, चमात्कारिक, वाह क्या कहने ! बिजली वाले हुये या अलाउददीन के चिराग के जिन्न !

अब इसमें लोग कह रहे थे कि भईया आरक्षण की भर्ती है, आरक्षण का स्टाफ है तो यह तो होना ही है , अब ऐसी अवस्था में यदि लोग ऐसा कहते हैं तो हम पूछते हैं कि क्या गलत कहते हैं ! आरक्षण के नाम पर अयोग्य लोगों या कम योग्य लोगों के सहारे ऐसे संवेदलशील टैक्नीकल काम छोड़े जायेंगे तो यह तो होगा ही ! अव्वल तो वे कुछ जानते ही नहीं, दूसरे हराम की चाट पंजीरी का ऐसा स्वाद उनके मुँह लगा है कि, सरकार बाद में बिजली बेच पायेगी वे यहीं फैक्ट्रयों और इण्डस्ट्रियों में जम कर बिजली बेच देते हैं, उनके बैंक बैलेन्स और कोठीयों की लम्बाई चौड़ाई तो लगभग यही कहानी कहती है ! वहीं दूसरी ओर कुछ लोग यह भी कहते हैं कि बजली वालों को चोर और डकैतों से हफ्ता वसूली मिलती है, और कब कब कहाँ की बिजली गुल की जायेगी इसकी खबर चोरों डकैतों को रहती है और बिजली विभाग के गुप्त शिडयूल के अनुसार ही उनका गुप्त शिडयूल चलता है ! अगर लोग ऐसा कहते हैं, तो अब लोग क्या गलत कहते हैं ? 

उल्लेखनीय है कि मुरैना और भिण्ड दोनों ही जिलों में बिजली को लेकर अभी हाल ही पिछले दस पन्द्रह दिनों में भारी जनआक्रोश और उपद्रव हुआ जहाँ महिलाओं ने जगह जगह कई आन्दोलन किये और पुतले फूंके, बिजली वालों की धुनाई पिटाई कर डाली वहीं लगता है सारी चम्बल घाटी में महिलाओं की फौज मानो कमर कसकर विद्रोह और विरोध पर उतारू है और प्रदर्शन, धरना, विरोध से लेकर धुनाई पिटाई भी उनके आन्दोलन का हिस्सा है, मजे की बात ये है कि उनके साथ कोई राजनीतिक दल नहीं हैं, जनता अपनी लड़ाई खुद लड़ रही है !

पिछले सप्ताह म.प्र. शासन के पूर्व कांग्रेस मंत्री राकेश चौधरी को जरूर भिण्ड में बिजली समस्या को लेकर न केवल सड़कों पर आना पड़ा बल्कि भिण्ड कलेक्ट्रेट की तालाबन्दी करना पड़ी, उनके तालाबन्दी आन्दोलन को जनता का इतना व्यापक समर्थन मिला कि भिण्ड की सडृकों पर जनता समाये नहीं बन रही थी, उन्होंने न केवल कुशलता और सफलतापूर्वक कलेक्ट्रेट भिण्ड की तालाबन्दी कर दी बल्कि जनता के हीरो भी बन गये ! यह भी स्मरणीय है कि भिण्ड के वर्तमान भाजपा विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह भी बिल्कुल ठीक इसी तरह विधायक बने ! बस फर्क यह था कि उस समय कांग्रेस की सरकार थी और इसी बिजली के लिये आन्दोलन नरेन्द्र सिंह कुशवाह ने इसी तरह जनता को साथ लेकर किया था ! और कई बिजली वालों की पिटाई धुनाई की थी, और पहले वे अखबारों की सुर्खियां बनें, फिर भिण्ड के विधायक ! तब राकेश चौधरी भिण्ड के विधायक और बाद में सरकार के मंत्री थे ! अब बिल्कुल वही सिचुएशन एकदम उल्टी है ! यानि आप समझ ही गये होंगे कि इसका अर्थ क्या है !

मुरैना की स्थिति थोड़ी भिन्न है, विशुध्द रूप से आरक्षित सीट रहने और भाजपा का अखण्ड गढ़ रहने से यहाँ जननेतृत्व का अभाव है, यहाँ के विधायक, सांसद जननेता की परिभाषा से परे हैं , चाटुकारिता और कृपालुता के भरोसे राजनीति करने वाले नेताओं के साये में मुरैना जिला की जनता को अपनी लड़ाई खुद लड़ना पड़ती है, लड़ती आयी है, और लड़ भी रही है ! नेता, विधायक, मंत्री, सांसद सब अपनी अपनी पीठ खुद ही थपथपाते रहते हैं, थपथपा रहे हैं, उनका हमेशा ही खैरियत अलार्म और ''जी सर'' ''यस सर'' तकिया कलाम चालू रहता है !      

जनता चोर और वे साहूकार, वाह भई वाह उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे ! लोकतंत्र में जनता कोतवाल होती है, और सरकार चोर, लोकतंत्र का मतलब तो यही है भईया ! जनता अधिकारी होती है, और सरकारी लोग उसके नौकर यानि सेवक यानि पब्लिक सर्वेण्ट ! मगर यहाँ तो उल्टी ही गंगा बह रही है ! 

क्या कहता है बिजली विभाग  ?

आज के दैनिक भास्कर में बिजली विभाग का स्पष्टीकरण यानि पक्ष प्रकाशित है, हम दैनिक भास्कर से साभार इसे यहाँ दे रहे हैं - महकमे के बिजली के तार चार पाँच जगह पर टूट गये थे, रात का समय होने की वजह से तारों को जोड़ा नहीं जा सके, हालांकि बुधवार की दोपहर को शहर की आपूर्ति को सामान्य बना लिया गया है- पी.के.सिंह, एस.ई. विद्युत मण्डल मुरैना !

क्या उक्त पक्ष स्पष्टीकरण से कुछ जाहिर नहीं होता - 1. ये लोग 24 घण्टे के पूर्णकालिक कर्मचारी यानि लोकसेवक यानि पब्लिक सर्वेण्ट नहीं हैं 2. बिजली के तार टूटना एक सामान्य और आम बात है जो सनृ 2000 से आज तक रोजाना हो रही है 3. ट्रान्सफार्मर फुंकना आम बात है जो सन 2000 से रोजाना फुंक रहे हैं 4. रात के वक्त बिजली महकमा काम नहीं करता 5. चार पाँच जगह के बिजली के तार तीन दिनों में जोड़ पाते हैं बेचारे 6. दारू पीकर होश में आने में कर्मचारीयों को तीन दिन से ज्यादा भी लग जाते हैं !

 

मा.क.पा. का मुरैना बंद सफल

मा.क.पा. का मुरैना बंद सफल

 

       मुरैना । मार्क्‍सवादी कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी द्वारा 31 अगस्‍त को मुरैना बन्‍द के दौरान मुरैना दोपहर एक बजे तक शत प्रतिशत बन्‍द रहा उसके पश्‍चात बाजार आंशिक रूप से खुल गया । अंचल की कैलारस और पोरसा तहसीलें शत प्रतिशत बन्‍द रहीं, सबलगढ़ में आंशिक बन्‍द रहा और जौरा में बन्‍द बेअसर रहा, अम्‍बाह तहसील में मिला जुला असर रहा ।

    माकपा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रदेश व्यापी बंद के तहत मा.क.पा. मुरैना द्वारा आयोजित बंद सफलतापूर्वक पूर्ण बंद रहा शहर भर की मुख्य सड़कों पर सैकड़ों मा.क.पा. कार्यकर्ताओं द्वारा खुदरा व्यापार व कृषि में व अन्‍य स्‍वरोजगार क्षेत्रों में देशी विदेशी कम्पनियों के प्रवेश के खिलाफ निजीकरण रोकने, स्वामी नाथन किसान आयोग की सिफारिस लागू करने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिये कानून बनाने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली मजबूत करने, मुरैना रेलवे फाटक पर पुल कानिर्माणकरने, आदि नारों के साथ शहर भरमें दोपहरतक जलूस निकालते रहे जलूस का नेतृत्व अशोक दोनेरिया, लक्ष्मीनारायण शर्मा, डॉ0 राधेलाल,बद्री सिंह, हरीसिंह माहौर, रामदास,रामसेवक कटारिया, नारायणसिंह,सुल्तान सिंह,कल्लू सिंह, गणेशराम राठौर, तोताराम,सुखलाल मिस्त्री, विनोद, रामखिलाड़ी माहौर, भोगीराम, इन्द्रसिंह यादव, पंचम सिंह, रामदास, रामविलास पाल, मवासीराम, रामभरोषी, सरदार सिंह आदि लोग कर रहे थे ।

       बाद में हनुमान चौराहे पर एक सार्वजनिक सभा भी हुई जिसे जिला सचिव मण्डल सदस्य कारामनिवास शर्मा का.जे.के. पिप्पल जिला समिति सदस्य का बैजनाथ पिप्पल तथा सीटू के जिला महासचिव, श्री कृष्णयादव, थान सिंह सिकरवार आदि ने सम्बोधित किया । इसके साथ ही सबलगढ़, कैलारस, झुण्डपुरा भी पूर्ण बंद रहा । इसका नेतृत्व मा.क.पा. जिला सचिव अशोक तिवारी, जिला सचिव मण्डल सदस्य गणेश मरैया,गयाराम सिंह धाकड़ महेश प्रजापति,मुरारीलाल धाकड़ आदि कर रहे थे ।