शनिवार, 23 अगस्त 2008

मोटोरोला मोबाइल कम्‍पनी के खिलाफ हर्जाना आदेश, प्रबन्‍धक के खिलाफ वारण्‍ट जारी

मोटोरोला मोबाइल कम्‍पनी के खिलाफ हर्जाना आदेश, प्रबन्‍धक के खिलाफ वारण्‍ट जारी

मुरैना 23 अगस्‍त 08, प्रसिद्ध मोबाइल फोन बनाने वाली मोटोरोला मोबाइल कम्‍ॅपनी के खिलाफ मुरैना के जिला उपभोक्‍ता न्‍यायालय ने साढ़े तीन हजार रूपये की हर्जाने की रकम उपभोक्‍ता को देने तथा तुरन्‍त नया मोबाइल फोन या उसकी कीमत मय ब्‍याज अदा करने के आदेश दिये हैं ।

हमारे न्‍यायालयीन संवाददाता के अनुसार मुरैना जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषण फोरम ने शिकायत प्रकरण क्रमांक 08/2008 में पारित आदेश दिनांक 13 मार्च 2008 में मोटोरोला मोबाइल कम्‍पनी के एक मोबाइल सेट एल-6 सिल्‍वर जिसकी कीमत उपभोक्‍ता राघवेन्‍द्र सिंह कुशवाह से 5376 रूपये दिनांक 20 जनवरी 2007 को वसूली गयी थी । कम्‍पनी के स्‍थानीय विक्रेता ने उपभोक्‍ता राघवेन्‍द्र सिंह को उसकी रसीद मय वारण्‍टी कार्ड दी । इसके बाद मोबाइल सेट ने चार माह बाद ही काम करना बन्‍द कर दिया, उपभोक्‍ता ने स्‍थानीय विक्रेता से इसकी शिकायत की तो ग्‍वालियर स्थित सर्विस सेण्‍टर से सेट की रिपेयरिंग करवा कर उपभोक्‍ता को वापस कर दिया । किन्‍तु कुछ दिन बाद यह सेट फिर अपने आप खराब हो गया, जिसे स्‍थानीय विक्रेता और मोटोरोला सर्विस सेण्‍टर ने मरम्‍मत करने से इंकार कर दिया । और कहा कि सेट में कम्‍पनी से ही मैन्‍यूफैक्‍चरिंग डिफेक्‍ट है, इसे ठीक नहीं किया जा सकता । यह सब घटनाक्रम मोबाइल सेट के वारण्‍टी अवधि के बरकरार रहते हुआ ।

स्‍थानीय विक्रेता तथा सर्विस सेण्‍टर एजेन्‍सी पर चक्‍कर लगा लगा कर परेशान हो चुके उपभोक्‍ता राघवेन्‍द्र सिंह कुशवाह ने अंतत: अभिभाषकगण नरेन्‍द्र सिंह तोमर, विनय मिश्रा, सौरभ मिश्रा, संतोष वर्मा के माध्‍यम से अपना प्रकरण जिला उपभोक्‍ता न्‍यायालय मुरैना के समक्ष प्रस्‍तुत किया ।

प्रकरण में आदेश देते हुये न्‍यायालय ने मोटोरोला कम्‍पनी को दोषी मानते हुये, और सेवा में त्रुटि पाया जाना स्‍वीकारते हुये तीस दिवस के भीतर आवेदक राघवेन्‍द्र सिंह कुशवाह को नया मोबाइल सेट वह भी पूर्णत: त्रुटि रहित हो, देने एवं उतनी ही नयी वारण्‍टी देने अथवा उसकी कीमत एवं उस पर 14 प्रतिशत ब्‍याज दर से ब्‍याज देने तथा साथ ही आवेदक उपभोक्‍ता को 3000 रूपये क्षतिपूर्ति तथा 500 रूपये प्रकरण व्‍यय भी तीस दिवस के भीतर अदा करने के आदेश दिये ।

प्रकरण में आदेश होने के उपरान्‍त भी मोटोरोला कम्‍पनी ने न तो न्‍यायालय के आदेश का पालन ही किया और न आवेदक उपभोक्‍ता राघवेन्‍द्र सिंह आ‍देशित अवधि के भीतर नया मोबाइल दिया न हर्जाना राशि अदा की । जिसकी शिकायत पुन: न्‍यायालय के समक्ष की गयी तब न्‍यायालय ने दो बार मोटोरोला इण्डिया के गुड़गांव कार्यालय के प्रबन्‍धक के जमानती वारण्‍ट जारी किये, किन्‍तु मोटोरोला कम्‍पनी इसके बावजूद न्‍यायालय में उपस्थित नहीं हुयी और न उसने न्‍यायालय के आदेश का पालन ही किया ।

इस पर न्‍यायालय ने मोटोरोला इण्डिया कम्‍पनी के प्रबन्‍धक के गिरफ्तारी वारण्‍ट जारी कर दिये ।  

शुक्रवार, 22 अगस्त 2008

गुरूवास्‍य दिवस: पुन: ब्‍लैक डे अभवत्, बिजली सप्‍लाई डम्‍पो अभवत्, लेट नाइट तक बिजली गुलो अभवत् शुक्रवारस्‍य मार्निंग पुन: ब्‍लैक: अभवत:, अंधेरा कायम जय श्री राम

गुरूवास्‍य दिवस: पुन: ब्‍लैक डे अभवत्, बिजली सप्‍लाई डम्‍पो अभवत्, लेट नाइट तक बिजली गुलो अभवत् शुक्रवारस्‍य मार्निंग पुन: ब्‍लैक: अभवत:, अंधेरा कायम जय श्री राम

 

मुरैना 22 अगस्‍त 08, दिन रात्रि, सुबह सायं शिवराजस्‍य सरकार बिजली घर सप्‍लाई पूर्णत: डम्‍पो अभवत ।

गुरूवारस्‍य दिवस अगेन कालदिवस च कालरात्रि सिद्धो अभवत् । जनता अति प्रसन्‍नता व्‍यकित करोति, धन्‍यवाद च ।

बेस्‍ट लाइफ, फील गुड और मध्‍यप्रदेशस्‍य 1 नंबर राज्‍य कल्‍पना साकार: भवति । गुरूवारस्‍य दिवस प्रात: 5 बजे बिजली कटौती प्रारंभ भवोति, निरन्‍तर कन्‍टीन्‍यूड अप टू लेट नाइटस्‍य रात्रि साढ़े 9 बजे तक ।

अद्यदिवस शुक्रवारस्‍य आलसो ब्‍लैक फ्राइडे काल्‍ड डयू टू, शुक्रवारस्‍य प्रात: साढ़े पॉंजे बजे कटौती ऑफ बिजली चालू अभवत् । नाऊ इट इज अण्‍डर वेट एण्‍ड वाच व्‍हाट विल हैपन फुल आफ शुक्रवारस्‍य डे ।

थैंक्‍यू सरकार साहब: बस दो महीना ओर अंधेरे का राज कायम रखें, फिर परमानेण्‍ट अंधेरास्‍य राज्‍य स्‍थपितो भविष्‍यति । जय श्री राम, जय अमरनाथ । परमाणु करार: मुर्दाबाद ।           

 

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005

 

ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) 2005 सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है जो गरीबों की जिंदगी से सीधे तौर पर जुड़ा है और जो व्यापक विकास को प्रोत्साहन देता है। यह अधिनियम विश्व में अपनी तरह का पहला अधिनियम है जिसके तहत अभूतपूर्व तौर पर रोजगार की गारंटी दी जाती है। इसका मकसद है ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढाना। इसके तहत हर घर के एक वयस्क सदस्य को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों का रोजगार दिए जाने की गारंटी है। यह रोजगार शारीरिक श्रम के संदर्भ में है और उस वयस्क व्यक्ति को प्रदान किया जाता है जो इसके लिए राजी हो। इस अधिनियम का दूसरा लक्ष्य यह है कि इसके तहत टिकाऊ परिसम्पत्तियों का सृजन किया जाए और ग्रामीण निर्धनों की आजीविका के आधार को मजबूत बनाया जाए। इस अधिनियम का मकसद सूखे, जंगलों के कटान, मृदा क्षरण जैसे कारणों से पैदा होने वाली निर्धनता की समस्या से भी निपटना है ताकि रोजगार के अवसर लगातार पैदा होते रहें।

       राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) को तैयार करना और उसे कार्यान्वित करना एक महत्त्वपूर्ण कदम के तौर पर देखा गया है। इसका आधार अधिकार और माँग को बनाया गया है जिसके कारण यह पूर्व के इसी तरह के कार्यक्रमों से भिन्न हो गया है। अधिनियम के बेजोड़ पहलुओं में समयबध्द रोजगार गारंटी और 15 दिन के भीतर मजदूरी का भुगतान आदि शामिल हैं। इसके अंतर्गत राज्य सरकारों को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे रोजगार प्रदान करने में कोताही न बरतें क्योंकि रोजगार प्रदान करने के खर्च का 90 प्रतिशत हिस्सा केन्द्र वहन करता है। इसके अलावा इस बात पर भी जोर दिया जाता है कि रोजगार शारीरिक श्रम आधारित हो जिसमें ठेकेदारों और मशीनों का कोई दखल  हो। अधिनियम में महिलाओं की 33 प्रतिशत श्रम भागीदारी को भी सुनिश्चित किया गया है।

       नरेगा दो फरवरी, 2006 को लागू हो गया था। पहले चरण में इसे देश के 200 सबसे पिछड़े जिलों में लागू किया गया था। दूसरे चरण में वर्ष 2007-08 में इसमें और 130 जिलों को शामिल किया गया था। शुरुआती लक्ष्य के अनुरूप नरेगा को पूरे देश में पांच सालों में फैला देना था। बहरहाल, पूरे देश को इसके दायरे में लाने और माँग को दृष्टि में रखते हुए योजना को एक अप्रैल 2008 से सभी शेष ग्रामीण जिलों तक विस्तार दे दिया गया है।

       पिछले दो सालों में कार्यान्वयन के रुझान अधिनियम के लक्ष्य के अनुरूप ही हैं। 2007-08 में 3.39 करोड़ घरों को रोजगार प्रदान किया गया और 330 जिलों में 143.5 करोड़ श्रमदिवसों का सृजन किया गया। एसजीआरवाई (2005-06 में 586 जिले) पर यह 60 करोड़ श्रमदिवसों की बढत है। कार्यक्रम की प्रकृति ऐसी है कि इसमें लक्ष्य स्वयं निर्धारित हो जाता है। इसके तहत हाशिए पर रहने वाले समूहों जैसे अजाअजजा (57#), महिलाओं (43#) और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों (129#) की भारी भागीदारी रही। बढी हुई मजदूरी दर ने भारत के ग्रामीण निर्धनों के आजीविका संसाधनों को ताकत पहुंचाई। निधि का 68# हिस्सा श्रमिकों को मजदूरी देने में इस्तेमाल किया गया। निष्पक्ष अध्ययनों से पता चलता है कि निराशाजन्य प्रवास को रोकने, घरों की आय को सहारा देने और प्राकृतिक संसाधनों को दोबारा पैदा करने के मामले में कार्यक्रम का प्रभाव सकारात्मक है।

मजदूरी आय में वृध्दि और न्यूनतम मजदूरी में इजाफा

       वर्ष 2007-08 के दौरान नरेगा के अंतर्गत जो 15,856.89 करोड़ रुपए कुल खर्च किए गए, उसमें से 10,738.47 करोड़ रुपए बतौर मजदूरी  3.3 करोड़ से ज्यादा घरों को प्रदान किए गए।

       नरेगा के शुरू होने के बाद से खेतिहर मजदूरों की राज्यों में न्यूनतम मजदूरी बढ गर्ऌ है। महाराष्ट्र में न्यूनतम मजदूरी 47 रुपए से बढक़र 72 रुपए, उत्तरप्रदेश में 58 रुपए से बढक़र 100 रुपए हो गई है। इसी तरह बिहार में 68 रुपए से बढक़र 81 रुपए, कर्नाटक में 62 रुपए से बढक़र 74 रुपए, पश्चिम बंगाल में 64 रुपए से बढक़र 70 रुपए, मध्यप्रदेश में 58 रुपए से बढक़र 85 रुपए, हिमाचल प्रदेश में 65 रुपए से बढक़र 75 रुपए, नगालैंड में 66 रुपए से बढक़र 100 रुपए, जम्मू और कश्मीर में 45 रुपए से बढक़र 70 रुपए और छत्तीसगढ में 58 रुपए से बढक़र 72.23 रुपए हो गई है।

ग्रामीण सरंचनात्मक ढांचे पर प्रभाव और प्राकृतिक संसाधन आधार का पुनर्सृजन

       2006-07 में लगभग आठ लाख कार्यों को शुरू किया गया जिनमें से 5.3 लाख जल संरक्षण, सिंचाई, सूखा निरोध और बाढ नियंत्रण कार्य थे। 2007-08 में 17.8 लाख कार्य शुरू किए गए जिनमें से 49# जल संरक्षण कार्य थे जो ग्रामीण क्षेत्रों मे  आजीविका के प्राकृतिक संसाधन आधार का पुनर्सृजन से संबंधित थे। 2008-09 में जुलाई तक 14.5 लाख कार्यों को शुरू किया गया।

       नरेगा के माध्यम से तमिलनाडू के विल्लूपुरम जिले में जल भंडारण (छह माह तक) में इजाफा हुआ है, जलस्तर में उल्लेखनीय वृध्दि हुई है और कृषि उत्पादकता (एक फसली से दो फसली) में बढोत्तरी हुई है।

कामकाज के तरीकों को  दुरुस्त करना

       पारदर्शिता और जनता के प्रति उत्तरदायित्व: सामाजिक लेखाजोखा राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का महत्त्वपूर्ण पक्ष है। नरेगा के संदर्भ में सामाजिक लेखाजोखा में निरंतर सार्वजनिक निगरानी और परिवारों के पंजीयन की जांच, जॉब कार्ड का वितरण, काम की दरख्वास्तों की प्राप्ति, तारीख डाली हुई पावतियों को जारी करना, परियोजनाओं का ब्योरा तैयार करना, मौके की निशानदेही करना, दरख्वास्त देने वालों को रोजगार देना, मजदूरी का भुगतान, बेरोजगारी भत्ते का भुगतान, कार्य निष्पादन और मास्टर रोल का रखरखाव शामिल हैं।

       वित्तीय दायरा: निर्धन ग्रामीण परिवारों को सरकारी खजाने से भारी धनराशि मुहैया कराई जा रही है जिसके आधार पर मंत्रालय को यह अवसर मिला है कि वह लाभान्वितों को बैंकिंग प्रणाली के दायरे में ले आए। नरेगा कामगारों के बैंकों व डाकघरों में बचत खाते खुलवाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया जा चुका है; नरेगा के अंतर्गत 2.28 करोड़ बैंक व डाकघर बचत खाते खोले जा चुके हैं।

       सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल: मजदूरी के भुगतान की गड़बड़ियों और मजदूरों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने दूरभाष आधारित बैंकिंग सेवाएं शुरू करने का निर्णय किया है जो देश के सुदूर स्थानों पर रहने वाले कामगारों को भी  आसानी से उपलब्ध होगी। बैंकों से भी कहा गया है कि वे स्मार्ट कार्ड और अन्य प्रौद्योगिकीय उपायों को शुरू करें ताकि मजदूरी को आसान और प्रभावी ढंग से वितरित किया जा सके।

       वेब आधारित प्रबंधन सूचना प्रणाली (.दध्दङ्ढढ़ठ्ठ.दत्ड़.त्द) ग्रामीण घरों का सबसे बड़ा डेटाबेस है जिसकी वजह से सभी संवेदनशील कार्य जैसे मजदूरी का भुगतान, प्रदान किए गए रोजगार के दिवस, किए जाने वाले काम, लोगों द्वारा ऑनलाइन सूचना प्राप्त करना, आदि पूरी पारदर्शिता के साथ किया जा सकता है। इस प्रणाली को इस तरह बनाया गया है कि उसके जरिए प्रबंधन के सक्रिय सहयोग को कभी भी प्राप्त किया जा सकता है। अब तक वेबसाइट पर 44 लाख मस्टररोल और तीन करोड़ जॉब कार्ड को अपलोड किया जा चुका है।

       मंत्रालय का नॉलेज नेटवर्क इस बात को प्रोत्साहन देता है कि किसी भी समस्या के हल को ऑनलाइन प्रणाली द्वारा सुझाया जाए। इस समय इस नेटवर्क के 400 जिला कार्यक्रम संयोजक सदस्य हैं। नेटवर्क नागरिक समाज संगठनों से भी जुड़ गया है।

माँग आधारित कार्यक्रम को पूरा करने के लिए क्षमता विकास

       ग्रामसभाओं और पंचायती राज संस्थाओं को योजना व कार्यान्वयन में अहम भूमिका प्रदान करके विकेन्द्रीयकरण को मजबूत बनाने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गहराई के साथ चलाने में नरेगा महत्त्वपूर्ण है। सबसे कठिन मुद्दा इन ऐजेंसियों की क्षमता का निर्माण है ताकि ये कार्यक्रम को जोरदार तरीके से कार्यान्वित कर सकें।

       केन्द्र की तरफ से समर्पित प्रशासनिक व तकनीकी कार्मिकों को खण्ड व उप खण्ड स्तरों पर तैनात किया गया है ताकि मानव संसाधन क्षमता को बढाया जा सके।

       राज्यों के निगरानीकर्ताओं के साथ नरेगा कर्मियों का प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया है। अब तक 9,27,766 कार्मिकों  तथा सतर्कता और निगरानी समितियों के 2,47,173 सदस्यों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

       मंत्रालय ने नागरिक समाज संगठनों और अकादमिक संस्थानों के सहयोग से जिला कार्यक्रम संयोजकों के लिए पियर लर्निंग वर्कशॉप का आयोजन किया ताकि औपचारिक व अनौपचारिक सांस्थानिक प्रणाली और नेटवर्क तैयार किया जा सके। इन सबको अनुसंधान अध्ययन, प्रलेखन, सामग्री विकास जैसे संसाधन सहयोग भी मुहैया कराए गए।

       संचार, प्रशिक्षण, कार्य योजना, सूचना प्रौद्योगिकी, सामाजिक लेखाजोखा और निधि प्रबंधन जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों को तकनीकी समर्थन भी प्रदान किया जा रहा है।

निराशाजन्य प्रवास को रोकना

       रिपोर्टों के अनुसार बिहार और देश के अन्य राज्यों की श्रमशक्ति अब वापस लौट रही है। पहले कामगार बिहार से पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात प्रवास करते थे जो अब धीरे धीरे कम हो रहा है। इसका कारण है कि मजदूरों को अपने गाँव में ही रोजगार व बेहतर मजदूरी मिल रही है जिसके कारण कामगार अब काम की तलाश में शहर की तरफ जाने से गुरेज कर रहे हैं। बिहार में नरेगा के अंतर्गत मजदूरी की दर 81 रुपए प्रति दिन है। प्रवास में कमी आ जाने के कारण मजदूरों के बच्चे अब नियमित स्कूल भी जाने लगे हैं।

       नरेगा के बहुस्तरीय प्रभावों को बढाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय राष्ट्रीय उद्यान मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, भारत निर्माण, वॉटरशेड डेवलपमेन्ट, उत्पादकता वृध्दि आदि कार्यक्रमों को नरेगा से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाबध्द व समन्वयकारी सार्वजनिक निवेश को बल मिलेगा। इसके परिणामस्वरूप गामीण क्षेत्रों में लंबे समय तक आजीविका का सृजन होता रहेगा।

#ग्रामीण रोजगार मंत्रालय द्वारा प्रदत्त सूचनाओं के आधार पर

 

 

बी एल. ओ. की बैठक आज

बी एल. ओ. की बैठक आज

मुरैना 21 अगस्त 08/ एस.डी.एम. श्री संदीप मांकिन से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुरैना तहसील के समस्त बी.एल.ओ. की बैठक 22 अगस्त को प्रात: 11 बजे टाऊन हॉल मुरैना में आयोजित की गई है । इस बैठक में विधानसभा क्षेत्र मुरैना, सुमावली और दिमनी से संबधित मुरैना तहसील के समस्त बी.एल.ओ. को अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिये गये है । बैठक को कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री रामकिंकर गुप्ता संबोधित करेंगे।

 

राजस्व प्रकरणों का निपटारा समय सीमा में हो - कलेक्टर

राजस्व प्रकरणों का निपटारा समय सीमा में हो - कलेक्टर

मुरैना 21 अगस्त 08/ कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता ने राजस्व अधिकारियों की बैठक में राजस्व कार्यों की विस्तृत समीक्षा की और राजस्व प्रकरणों का निपटारा समय- सीमा में सुनिश्चित करने के निर्देश दिये । बैठक में जिले के समस्त एस.डी.ओ. (राजस्व) और तहसीलदार उपस्थित थे ।

       समीक्षा के दौरान बताया गया कि राजस्व वर्ष में एक अक्टूबर से अभी तक अविवादित नामांतरण के 9546, अविवादित बंटवारा के 616, विवादित नामांतरण के 548, विवादित बंटवारा के 364, तथा सीमांकन के 56 प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है । जिले में 20 हजार 968 पट्टेदारों को 19250 हेक्टर भूमि के पट्टे दिये गये थे । इनमें से विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन 46 प्रकरणों को छोड़कर शेष में कब्जे का सत्यापन कराया जा चुका है । विभिन्न राजस्व न्यायालयों के माध्यम से 24 हजार 714 राजस्व प्रकरण निराकृत कराये जा चुके हैं । कलेक्टर ने राजस्व प्रकरणों के निराकरण में समय-सीमा का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिये ।

       जिले में विभिन्न राजस्व मदों में अभी तक 87 लाख 67 हजार रूपये की वसूली की जा चुकी है, जबकि सवा करोड़ रूपये से अधिक की वसूली शेष है । कलेक्टर ने राजस्व वसूली के कार्य में गति लाने के निर्देश दिये । डायवर्सन व्ययवर्तन के 11 हजार प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है तथा 66 लाख 96 हजार रूपये की वसूली की गई है । समस्त 820 ग्रामों के भू-अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण एवं अधतीकरण किया जा चुका है । जिले में 65 हजार खातेदार किसानों को नवीन भू-अधिकार ऋण पुस्तिका वितरित की जा चुकी हैं ।

       कलेक्टर श्री गुप्ता ने राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे निर्णीत प्रकरणों को अभिलेखागार में जमा कराने की कार्रवाई तत्परता से करें । उन्होंने कहा कि कुपोषण से मुक्ति के विशेष प्रयास किये जाये और यह सुनिश्चित किया जाये कि जिले में बच्चों की कुपोषण स्थिति में सुधार हो । इसके लिए प्रत्येक तहसीलदार को 40 हजार रूपये का आवंटन भी सौंपा गया है । इसका सदुपयोग सुनिश्चित किया जाये ।

 

त्रुटि रहित मतदाता सूची तैयार करायें -- कलेक्टर

त्रुटि रहित मतदाता सूची तैयार करायें -- कलेक्टर

मुरैना 21 अगस्त 08/ कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री रामकिंकर गुप्ता ने एस.डी.एम., तहसीलदार और बी एल ओ को आगामी चुनाव के लिए पूरी तरह से शुद्व और त्रुटि रहित मतदाता सूची तैयार कराने के निर्देश दिये हैं । उन्होंने कहा कि मृत एवं स्थानांतरित मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाये जाये और सुनिश्चित किया जाये कि 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके मतदाताओं के शत प्रतिशत नाम एवं फोटो मतदाता सूची में आ जाये ।

       कलेक्टर श्री गुप्ता ने कहा कि शांतिपूर्ण मतदान के लिए निर्वाचन की प्रक्रिया निष्पक्ष और स्वतंत्र होनी चाहिये और इसके लिए शुद्व व त्रुटि रहित मतदाता सूची का होना जरूरी है । ऐसे मतदाता जिनकी मृत्यु हो गई है अथवा अपने निवास से अन्यत्र स्थानों पर चले गये हैं, उनके नाम मतदाता सूची में नहीं रहना चाहिये । सूची में वे ही मतदाता रहें जो वास्तविक रूप से वहां रहते हों और उनके शतप्रतिशत प्रमाणित फोटो उनके नाम के सामने अंकित हों । उन्होंने कहा कि त्रुटियुक्त मतदाता सूची वर्दाश्त नहीं की जायेगी तथा संबंधित के विरूद्व कार्रवाई की जायेगी ।

       जिला निर्वाचन अधिकारी ने सभी बी एल ओ को निर्देश दिये कि वे 24 अगस्त तक संशोधन, निरसन और परिवर्धन की सूची का अवलोकन कर उसकी त्रुटियों में सुधार करायें । साथ ही मृत मतदाताओं और स्थानांतरित मतदाताओं तथा डवल अथवा रिपीटेड मतदाताओं की विवरण सहित सूची तैयार करायें । कम लिंगानुपात वाले मतदान केन्द्रों की पुन: जांच कर छूटी हुई महिलाओं के नाम दर्ज कराने की कार्रवाई करें । एस.डी.एम. और तहसीलदार भी यह सुनिश्चित करें कि मतदाताओं की शतप्रतिशत फोटो ग्राफी हो जाये । भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार फोटो युक्त परिचय पत्र वाले मतदाता ही मतदान कर सकेंगे । फोटो खींचने से शेष रहे मतदाताओं की सूची तैयार कर 27 अगस्त तक उनकी फोटो ग्राफी कराई जाये । जिनके परिचय पत्र खो चुके हैं, उनकी भी सूची तैयार कराई जाये । फोटो ग्राफी कार्य के लिए प्रति तहसील 50 हजार रूपये के मान से राशि संबंधित एस.डी.एम. को दी जा चुकी हैं।

 

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की अनन्तिम सूची जारी

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की अनन्तिम सूची जारी

मुरैना 21 अगस्त 08/ एकीकृत बाल विकास परियोजना मुरैना ग्रामीण में चयनित आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं की अनन्तिम सूची जारी की गई है । इस सूची के सम्बध में आपत्तियां 25 अगस्त तक मुरैना ग्रामीण के परियोजना अधिकारी के कार्यालय में प्रस्तुत की जा सकती है ।

       आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद हेतु आंगनवाड़ी केन्द्र सबजीतकापुरा में  श्रीमती मिथलेश चयनित एवं श्रीमती निर्मला को प्रतीक्षारत सूची में रखा गया है । इसी प्रकार सहायिका पद हेतु आंगनवाडी केन्द्र नाका में श्रीमती जानकी देवी चयनित एवं श्रीमती राजकुमारी प्रतीक्षारत और रामरतनकापुरा में श्रीमती गीता देवी को चयनित सूची में रखा गया है

 

किसान उर्वरकों का अग्रिम उठाव करें - कलेक्टर

किसान उर्वरकों का अग्रिम उठाव करें - कलेक्टर

मुरैना 21 अगस्त 08/ कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता ने कहा है कि इस वर्ष बहुत अच्छी वर्षा को देखते हुए जिले में रवी मौसम में बुआई का 25-30 प्रतिशत क्षेत्र बढने की संभावना है । किसानों को चाहिए कि वे रवी फसलों के लिए उर्वरकों का अग्रिम उठाव करें । सहकारी समितियों से प्रत्येक किसान को नगद विक्रय पर 5 बोरी डी.ए.पी. और 10 बोरी यूरिया उपलब्ध होगी । इसकी प्रविष्टि ऋण पुस्तिका में करानी होगी । श्री गुप्ता गत बुधवार को कृभको द्वारा तरसमा में आयोजित सहकारिता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे ।

       सम्मेलन में उप संचालक कृषि श्री बी.डी.शर्मा ने उर्वरकों के अग्रिम भंडारण पर बल दिया और किसानों के हित में चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी । वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. के.एन. बंसल ने संतुलित उर्वरकों के बारे में बताया और सरसों की फसल में गंघक के उपयोग की सलाह दी । डा. एम.एल. त्रिपाठी ने समय से बुआई, पौध संरक्षण की तकनीक से अवगत कराया और डा. आर.पी. यादव ने फसल सुरक्षा के उपायों की जानकारी दी ।

       प्रारंभ में वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक कृभकों डा. एस.एस. राठौर ने अतिथियों का स्वागत किया । उन्होंने बताया कि जिले में एक हजार टन यूरिया उपलब्ध है और शीघ्र ही एक रेक यूरिया आने वाली है ।

       कार्यक्रम में कृषि प्रश्नोत्तरी भी आयोजित की गई । जिसमें प्रथम आने वाले चार कृषकों को पुरस्कृत किया गया । इस अवसर पर अनुविभागीय अधिकारी अम्बाह डा. एम.एल. दौलतानी, जिला विपणन अधिकारी श्री आर.पी.एस.चौहान, क्षेत्र के कृषि अधिकारी और कृषकगण उपस्थितथे । अंत में सभी की उपस्थिति के प्रति कनिष्ठ प्रबंधक कृभकों श्री यू.पी.एस. राठौर ने आभार व्यक्त किया ।

 

6 प्रकरणों में 12 हजार हेक्टर पड़त भूमि वंटन की अनुशंसा

6 प्रकरणों में 12 हजार हेक्टर पड़त भूमि वंटन की अनुशंसा

मुरैना 21 अगस्त 08/ कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता की अध्यक्षता में गत दिवस सम्पन्न गैरवन पड़त भूमि की जिला स्तरीय समिति की बैठक में 6 आवेदकों को दो- दो हजार हेक्टर भूमि के आवंटन की अनुशंसा की गई ।

       समिति के निर्णय अनुसार में. एस.एस. इंटर प्राइजेज नोएडा, में. यू.पी. इन्फोरटेक नई दिल्ली, में. ओम इंटर प्राइजेज नई दिल्ली में. सत्या एग्रो गुडगांव, वूमेन डब्ल्पमेंट आर्गनाईजेशन नई दिल्ली और जोधना अल्टर नेटिव इनर्जी सोल्यूसन इंडिया प्रा. लिमिटेड नई दिल्ली को दो- दो हजार हेक्टर पड़त भूमि के वंटन की अनुशंसा सहित प्रकरण अग्रिम कार्रवाई हेतु प्रबंध संचालक म.प्र. एग्रों को भेजे गये । ज्ञात हो कि मुरैना जिले में 35 हजार हेक्टर अकृषि योग्य गैरवन पड़त भूमि उपलब्ध है । इससे पहले मित्र नेचुरल को 1006 हेक्टर, चिनोनी चम्बल को 968 हेक्टर तथा इंडिया वायो क्वेल और के.एस. ऑयल मिल को दो- दो हजार हेक्टर भूमि वंटन की अनुशंसा कर प्रकरण आगामी कार्रवाई हेतु म.प्र. एग्रों को भेजे जा चुके हैं ।

 

पंचायत मंत्री आज विभिन्न सड़कों का भूमिपूजन करेंगे

पंचायत मंत्री आज विभिन्न सड़कों का भूमिपूजन करेंगे

 

मुरैना 21 अगस्त 08/ पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री रूस्तम सिंह 22 अगस्त को प्रात: 10 बजे मुरैना से भिंड जिले के गोहद के लिए प्रस्थान करेंगे । श्री रूस्तम सिंह गोहद में दोपहर 12 बजे से सांय 5 बजे तक प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अन्तर्गत चितौरा मौ रोड से इटायली, बेहट रोड से गुहीसर, मौ बेहट रोड से जमदारा, गोहद मौ रोड से गिरगांव, मौ सेवढा रोड से किटी और गोहद- बडागढ भगौरा रोड से निमरौल मार्गों का भूमिपूजन करेंगे । पंचायत मंत्री सांय 5 बजे गोहद से प्रस्थान कर सांय 7 बजे मुरैना आयेंगे ।

 

गुरुवार, 21 अगस्त 2008

गुरूवार भी गुल, सुबह 5 बजे से बिजली पर लगा है ग्रहण

गुरूवार भी गुल, सुबह 5 बजे से बिजली पर लगा है ग्रहण

मुरैना/भिण्‍ड/श्‍योपुर 21 अगस्‍त 08, सुबह 5 बजे से गुरूवार  21 अगस्‍त को शुरू हुयी बिजली कटौती खबर लिखे जाने यालि शाम 5 बजे बजे तक रह रह कर चल रही है । अब आगे क्‍या होता है शाम और रात कैसी होगी वक्‍त बतायेगा, फिलहाल बिजली गोल है ।

चालू है बड़े बाबू , अफसरों और मंत्री के मोहल्‍ले की बिजली

बकाया आधे पौने शहर में भले ही बिजली कहर ढाती रही हो लेकिन बड़े बाबू (कलेक्‍टर साहब) और अफसरों तथा लोकल मिनिस्‍टर और अखबार वालों की बिजली चालू बनी रही । हुम्‍फ ये डेमोक्रेसी है भईये, इसमें ऐसा ही चलता है, मियां कह जूती मियां की चांद पर ऐसे ही पड़ती है । 

दलाली मुक्‍त इण्‍टरनेट सेवायें और ई प्रशासन की ओर म.प्र. सरकार ने रखे कदम, स्कूली शिक्षकों की तनख्वाह भी हुई ऑनलाईन, यूनीक कोड वेबसाईट पर, अगस्त से शुरूआत

दलाली मुक्‍त इण्‍टरनेट सेवायें और ई प्रशासन की ओर म.प्र. सरकार ने रखे कदम, स्कूली शिक्षकों की तनख्वाह भी हुई ऑनलाईन, यूनीक कोड वेबसाईट पर, अगस्त से शुरूआत

एक राय ग्‍वालियर टाइम्‍स की

यह समाचार रिलीज करने से पहले ग्‍वालियर टाइम्‍स की टीम ने इस वेबसाइट की स्थिति व गुणवत्‍ता का परीक्षण किया । हालांकि भारी बिजली कटौती के चलते कई बार व्‍यवधान आया लेकिन लोकहित में इस वेबसाइट पर टीप लिखना समीचीन व सामायिक है । अत: हम अपने पाइक वर्ग को बताना चाहेंगें । कि यह वेबसाइट म.प्र. के एजुकेशनल पोर्टल के नाम से विकसित की गयी है, वेबसाइट का डिजाइन और लोक सेवाओं की उपलब्‍धता यद्यपि अभी प्रारंभिक स्थिति में है तथा अपरिपक्‍व है किन्‍तु इसके बावजूद यह एक श्रेष्‍ठ व उपयोगी वेबसाइट है, आगे विकसित होकर संभवत: वाकई बेहतरीन ई सेवा उपलब्धि या ई प्रशासन की दिशा में मील का पत्‍थर होगी । वेबसाइट की गुणवत्‍ता बहुत उत्‍कृष्‍ट है वहीं फिलहाल केवल शिक्षकों से सम्‍बन्धित सेवाये हीं इसमें शुरू कीं गयीं हैं, आन लाइन लोक सेवाये मसलन ऑनलाइन स्‍कूल मान्‍यता आवेदन, निरीक्षण रिपोर्ट, स्‍कूल मान्‍यता स्थिति, स्‍कूल शिकायत, स्‍कूल मानदण्‍ड और ऑनलाइन स्‍कूल एडमीशन, ऑन लाइन शिक्षक हाजरी, ऑन लाइन योजनायें व कार्यक्रम आदि अभी यहॉं उपलब्‍ध नहीं हैं इसके साथ ही स्‍कूलों की स्थितियां, भौगोलिक अवस्थिति आदि जानकारीयो के साथ उनमें उपलब्‍ध सुविधायें आदि अभी यहॉं नहीं हैं । उम्‍मीद की जा सकती है कि निकट भविष्‍य में यह सब यहॉं उपलब्‍ध हो जायेगा ।

सबसे बड़ी बात इस वेबसाइट की यह है कि यह टाटा कन्‍सल्‍टेन्‍सी और भ्रष्‍ट एमपीएसईडीसी के चंगुल से बच निकली है और नेशनल इन्‍फारमेटिक्‍स सेण्‍टर (एन आई सी) ने इसे विकसित किया है, इस पर उपलब्‍ध हर सेवा निशुल्‍क तथा हर जगह से हर समय एक्‍सेसेबल है ।

एमपीऑन लाइन से बाहर रहने से उम्‍मीद है कि जनता सरकारी प्रायवेट पार्टनरशिप की लूटपाट से बची रहेगी  , वरना हमने तो म.प्र. में उम्‍मीद ही छोड़ दी थी कि म.प्र. की जनता को तथाकथित एमपी ऑन लाइन और उसके कियोस्‍कों के विषदन्‍तों से कभी राहत मिल सकेगी । पूर्णत: फ्री एक्‍सेसेबल और हर किसी के लिये फायदेमन्‍द यह वेबसाइट शीघ्र ही ग्‍वालियर टाइम्‍स की ई सेवाओं में जोड़ दी जायेगी और ग्‍वालियर टाइम्‍स के 58 लाख पाठक इसकी सेवाओं का उपयोग कर सकेगे । दलाली मुक्‍त इण्‍टरनेट सेवाओं की शुरूआत के लिये सरकार को साधुवाद । - सम्‍पादक ग्‍वालियर टाइम्‍स डॉट कॉम      

 

इन्टरनेट के मौजूदा दौर का फायदा अब प्रदेश के स्कूली शिक्षकों को भी अपनी तनख्वाह से जुड़ी जानकारियों के लिए मिलने जा रहा है। राज्य सरकार की इस सिलसिले में खास कोशिशों के चलते शिक्षा विभाग के अधीन सभी शिक्षकों और कर्मचारियों की तनख्वाह इसी महीने से ऑनलाईन हो रही है। ये लोग इस मकसद से उन्हें आवंटित किए गए यूनीक कोड एन.आई.सी. की वेबसाईट पर देख सकेंगे।

स्कूली शिक्षा के सारे कर्मचारी जिनमें शिक्षक, प्राचार्य और लिपिक शामिल हैं, अब उनके वेतन की जानकारी कम्प्यूटरीकृत कर दी गई है। अब तक हो यह रहा था कि उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के सवा तीन हजार से ज्यादा प्राचार्य बतौर आहरण संवितरण अधिकारी की हैसियत से शिक्षकों के वेतन का कामकाज मेन्युअल के जरिए कर रहे थे। इसके चलते हर महीने इस काम में दस-बारह दिन लग जाते थे। अनावश्यक विलंब और वेतन की जानकारी हासिल करने की दिक्कतें आम बात थीं। बरसों से चली आ रही इस पुरानी परम्परा पर अब विराम लगा दिया गया है।

ताजा इंतजाम के जरिए वेतन का पत्रक अब ऑनलाईन तैयार होगा। इससे हर महीने कर्मचारियों के पे-बिल तैयार करने की कवायद नहीं करनी पड़ेगी। सिर्फ उस जानकारी को अपडेट किया जाएगा जिसके तहत किसी कर्मचारी की वार्षिक वेतन वृध्दि लगना है या फिर ऐसे कर्मचारी की जानकारी जिसकी पदस्थापना में परिवर्तन किया गया है। शिक्षकों के वेतन की जानकारी ऑनलाईन होने का एक और फायदा यह होगा कि विभाग को स्कूलवार भरे हुए पद और बजट एवं व्यय की सूचना भी मिलती रहेगी। इन जानकारियों की ताजा स्थिति जिला, संभाग और राज्य स्तर पर ऑनलाईन मिल जाएगी। इसके चलते स्कूलों में शैक्षिक, प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन भी पुख्ता किया जा सकेगा।

स्कूल शिक्षा विभाग में कम्प्यूटरीकरण के कार्य को अंजाम तक पहुंचाने का जिम्मा राज्य शिक्षा केन्द्र के आयुक्त श्री मनोज झालानी को सौंपा गया था। उन्होंने बताया कि अगले चरण में शिक्षकों की सेवा पुस्तिका के कम्प्यूटरीकरण पर भी विचार शुरू हो चुका है। ससे कर्मचारियों की पदस्थापना, क्रमोन्नति और वित्तीय स्वत्वों के मामले निपटाने में भी गति आ जाएगी। इसी तरह विभाग की वरिष्ठता सूची भी ऑनलाईन हर वक्त उपलब्ध रहेगी।

फिलहाल स्कूली शिक्षा के कर्मचारियों को आवंटित किए गए यूनीक कोड का इस्तेमाल भविष्य में उनसे जुड़े हर प्रशासकीय काम में होगा। कर्मचारी इसके जरिए सिर्फ एक क्लिक कर अपने वेतन के ब्यौरे, वेतन पर्ची और सालाना आमदनी के पत्रक को इंटरनेट पर देख सकेंगे। एन.आई.सी. की इस जानकारी वाली वेबसाईट का पता http://demo.mp.nic.in/educationportal रहेगा।

 

बुधवार, 20 अगस्त 2008

स्‍व.राजीव गांधी के जन्‍म दिवस पर विशेष आलेख जरूरत अँगूठा छाप नेताओं से छुटकारे की, अब वक्‍त पढ़ी लिखी वैज्ञानिक पीढ़ी का- 1 भाग-1

स्‍व.राजीव गांधी के जन्‍म दिवस पर विशेष आलेख

जरूरत अँगूठा छाप नेताओं से छुटकारे की, अब वक्‍त पढ़ी लिखी वैज्ञानिक पीढ़ी का- 1

भाग-1 

नरेन्‍द्र सिंह तोमर 'आनन्‍द'

यह विडम्‍बना ही है देश की हम एक अरब से ऊपर की संख्‍या में भारतवासी आज भी देश के लिये साक्षरता अभियान, सर्व शिक्षा मिशन और अनौपचारिक शिक्षा की वैशाखीयों का सहारे चलने को मजूबर हैं, यह शर्मनाक और अफसोस जनक तथ्‍य है कि भारत जो युगों से कई मामलों में विश्‍व गुरू रहा, आज अपने नौनिहालों और भावी कर्णधारों को विशेष अभियान और योजनाओं के जरिये शिक्षित करने पर मजबूर है ।

भारत को आजाद हुये 62 साल गुजर गये, देश की भाषा में कहा जाये तो आजादी सठिया गई, हमारे लालू प्रसाद जी की भाषा में कहें तो साठा सो पाठा ( साठ के बाद आदमी पठ्ठा होता है) खैर जो भी है, एक लम्‍बा अन्‍तराल गुजर चुका है और यूं ही महज मसखरी में गुजर चुका है, केवल अधुनातन और नवीन प्रयोगों में ही हमारी सरकारें और नेता वक्‍त जाया करते रहे हैं, देश अभी तक केवल एक प्रयोगशाला के मानिन्‍द ही व्‍यवहृत होता रहा है ।

कोई दो बरस पहले मैंने अंग्रेजी में एक आलेख लिखा था जिसमें प्रश्‍न उठाया था कि आखिर कब तक भारत विकासशील ही बना रहेगा और विकासशील देश की संज्ञा से उच्‍चारित होता रहेगा, आखिर वह सुबह कब आयेगी जब भारत को विकसित देश कहा जा सकेगा । आज भारत विकसित देश क्‍यों नहीं हो सकता । मुझे खुशी है कि मेरी बात का इशारा भारत सरकार समझ गयी और कई एक बातें और कई कदम सरकार के कुछ इस तरह उठे कि विकासशील से विकसित भारत में तब्‍दीली की परिभाषा हेतु पर्याप्‍त माद्दा रखते थे । हॉं ठीक हैं, कुछ हुआ मगर न तो यह संतोषजनक है और न पर्याप्‍त, अभी तो महज एक शुरूआती नींव का पत्‍थर है और बगैर इन्‍तजार के अब धड़ाधड़ कदम दर कदम आगे बढ़ते हुये नयी बुनियाद पर भारत की नयी इमारत और नयी तस्‍वीर गढ़नी होगी ।

बिना लाग लपेट के कहें तो स्‍वामी विवेकानन्‍द के सूत्र के तुरन्‍त अमल में लाना होगा । उत्तिष्‍ठत, जागृत । इसमें श्रीकृष्‍ण का चेतना व कर्मयोग का सूत्र मिलाते हुये जेम्‍स एलन के परिच्‍छेद को उद्धृत कर अपनी परिभाषा स्‍वयं हि तुरन्‍त और तत्‍काल गढ़नी होगी, भारत को, भारत के नौजवानों को तुरन्‍त तत्‍काल चेतना होगा, जागना होगा और उठ खड़ा होना होगा फिर तत्‍काल ही सक्रिय भी होना होगा ।

देश पहले ही काफी फिजूल वक्‍त बर्बाद कर चुका है, भारत को स्‍वतंत्रता प्राप्ति के पश्‍चात आज तक महज प्रयोगशाला बना कर ही तमाम योजनाओं और नीतियों की अदल बदल कर केवल परीक्षण ही किया जाता रहा है, परिणाम यह हुआ कि न तो सरकारें और न नेता ही न जनता का भला कर पाये, तथाकथित कल्‍याण या लोक कल्‍याण या जन कल्‍याण महज एक नाटक नौटंकी ही बना रह गया । समूचे देश को प्रयोगशाला के रूप में नित नये प्रयोग कर सरकारें केवल देश और जनता का महज अहित ही करतीं रहीं, तमाशा यह है कि निष्‍कर्ष या ठोस परिणाम आज तक किसी भी प्रयोग के हमारे पास नहीं हैं ।

प्रयोगधर्मीयों ने देश को 62 साल तक नुकसान पहुंचाया है, अब वक्‍त आ गया है इनको एक झटके से उखाड़ने और भारत से बाहर धकेलने का ।

लोकतंत्र मजाक और तमाशा बनकर नेताओं की मसखरी का साधन मात्र हो गया । सरकारें और प्रयोगधर्मी नेताओं के साथ मिल कर प्रयोग करते रहे, योजनायें बदलतीं रहीं, नीतियां बदलतीं रहीं कोई योजना छ महीने चली तो कोई चल ही नहीं पायी, कोई बदल गयी कियी का नाम बदल गया किसी को नई बोतल में पुरानी शराब की तरह कई बार परोसा गया । पिछले कई साल से यह नौटंकी तमाशा भारत में चलता आ रहा है, अब एक झटके में बन्‍द हो जाना चाहिये सब । वरना हम विकासशील देश से कभी भी विकसित भारत नहीं बन सकते ।

मैं एक दृष्‍टान्‍त देता हूं, अधिक आसानी से विषय को समझा जा सकेगा ।

मैं उन दिनों वर्ष 1995 में नेशनल नोबल यूथ अकादमी के लिये शिक्षा और रोजगार पर एक वीडियो फिल्‍म तैयार करवा रहा था (यह फिल्‍म अभी हमारे पास है) मेरे मस्तिष्‍क में बेरोजगारों के लिये शिक्षा प्रशिक्षण और रोजगार पर महत्‍वपूर्ण योजनाओं और उनसे कैसे बेरोजगार युवा लाभ उठा सके यह कन्‍सेप्‍ट था और इसी विषय पर हम काम कर रहे थे । फिल्‍म में प्रायवेट व्‍यावसायिक व रोजगारोन्‍मुखी प्रशिक्षण केन्‍द्रों, तकनीकी प्रशिक्षण केन्‍द्रों, एजुकेशनल कोचिंगों के अलावा सरकारी कार्यालय प्रमुखों तथा, शिक्षा विभाग और प्रशिक्षण संस्‍थान, रोजगार कार्यालय, युवाओं के लिये कार्यरत सरकारी संस्‍थाओं मसलन नेहरू युवा केन्‍द्र, स्‍वयंसेवी संगठनों व संस्‍थाओं सहित कुछ बेरोजगारों के इण्‍टरव्‍यू शूट किये जाने थे साथ ही बेरोजगारी से संबंधित और प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों और संगठनों व संस्‍थानों को भी इसमें शामिल करना था । पहले इसे लघु फिल्‍म के रूप में बनाने का विचार था सोचा कि डाक्‍यूमेण्‍ट्री रिलीज कर देंगें लेकिन फिल्‍म शूट होते होते कई ऐंसीं अद्भुत चीजें निकल कर सामने आयीं कि फिल्‍म अपने आप ही बहुत लम्‍बी और अच्‍छी बन पड़ी, बस दिक्‍कत यह हुयी कि हम जितना भी सरकारी पक्ष को इकठ्ठा करके लाये, वह सारा समूचा ही निगेटिव और एब्‍सर्ड हो रहा था ।

सरकारी अधिकारीयों ने जहॉं अपने इण्‍टरव्‍यूओं में उल्‍टे सीधे बयान दे दिये थे वहीं कहीं से कोई उपयोगी यानि काम की बात निकल कर सामने नहीं आयी ।

सरकारी कार्यालयों में 98 फीसदी यह हालत थी कि उन्‍हें अपने विभाग की योजनाओं और हितग्राही मूलक किसी भी कार्यक्रम की लेशमात्र भी जानकारी नहीं थी । और वे काम की बात बताने के बजाय इधर उधर बहक जाते थे, हमें कैमरा बार बार रूकवा कर दोबारा दोबारा सीन शूट करने पड़ते थे, अधिकारी बार बार अपने बाबूओं को बुलाते और पूछते क्‍यों भई एक वो योजना भी तो थी, उसका क्‍या हुआ चल रही है कि बन्‍द हो गयी , बाबू सिर खुजाता, और कहता सर पता नहीं हैं, रोज तो योजना बदल जातीं हैं, कहॉं तक ध्‍यान रखें अब देखना पड़ेगा कि चल रही है कि नहीं । बाबू फाइलों में योजनायें और कार्यक्रम खंगालते, खोज खोज कर पगला जाते मगर योजनाओं के न सिर मिल पाते न पैर । राम राम कह कर जैसे तैसे हमने फिल्‍म पूरी की और चन्‍द दिनों के भीतर जान लिया कि इस देश में बेरोजगारों कैसे उद्धार हो रहा है ।

हमारा कैमरा जब शिक्षा विभाग में पहुँचा (सीन मजेदार और देखने लायक हैं) तब उपसंचालक शिक्षा का जिला स्‍तर पर कार्यालय होता है अब आजकल इसे जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय कहा जाता है ।

कूड़े कबाड़ के मानिन्‍द योजनायें कहीं बस्‍तों में बन्‍द दबी पड़ीं तो कहीं योजना का अता पता नहीं, पूरा शिक्षा विभाग खंगाल डाला कहीं कोई योजना नहीं मिली । कहीं शराब के दौर (कैमरा सभी कक्षों में अचानक घुमाया गया था) तो कहीं सिगरेटों के कश, कहीं टेबलों पर लात पसारे बैठे मक्‍खीयां मार रहे बाबू तो कहीं, मॉं बहिन की गालीयों से आपस में उलझ रहे सरकारी कर्मचारी, कहीं रिश्‍वत की खलेआम मांग तो कहीं कक्षों के बंटवारे को लेकर विवाद, कहीं अटैचमेण्‍ट के लिये मारामारी तो कहीं नियुक्ति और ट्रान्‍सफर की सेटिंग । बड़ा ही अजीबो गरीब सा माहौल था । (मुझे बाद में जिला पर्यावरण समिति के तहत डेढ़ साल तक इसी कार्यालय में बैठने और काम करने का मौका मिला, तब मैंने अपनी रिसर्च बहुत अधिक पुख्‍ता ढंग से की) लेकिन मैं दंग था सारा सब कुछ देख कर ।

कुल मिला कर निष्‍कर्ष यह है कि रोजाना आने वाली और बदलती रहने वाली योजनाओं का हितग्राही तक खैर क्‍या लाभ पहुँचता होगा जब सम्‍बन्धित विभाग या उसके बाबूओं को भी उनकी जानकारी न हो, अफसर लोक कल्‍याण और उसकी योजनाओं के प्रति सर्वथा निरक्षर और अज्ञानी हों । खैर ये तब की बात है जब देश में इण्‍टरनेट नहीं था और इतने अधिक संसाधन व स्‍त्रोत नहीं थे तथा देश पूरी तरह आश्रित होकर सरकारी अफसरों को भगवान और बाबूओं को महाराज मान कर पूजता था तथा काम की किसी योजना की जानकारी मात्र के लिये सरकारी कार्यालयों और बाबूओं अफसरों को रिश्‍वत भी देता था उनके घर चक्‍कर मार मार कर चकरघिन्‍नी हो जाता था । आज इण्‍टरनेट ने मामला पलट उलट दिया है, अब जानकारीयां व सूचनायें अपनी पहुँच खेत, गॉंव और घरों तक बना चुकीं हैं, अब अधिकतर चीजों के लिये दफ्तरों और अफसर बाबूओं के चक्‍कर नहीं लगाने पड़ते ।

अब योजना की तस्‍वीर भी दिख जाती है, और उसकी ताबीर भी । उसकी तब्‍दीली भी साफ दृष्टिगोचर होती है और अर्जी फर्जीवाड़ा और फिजूल प्रयोगधर्मिता तथा नकली नाटक नौटंकी भी साफ दिख जाती है ।

इण्‍टरनेट ने काफी कुछ बदल दिया है, नये भारत की तस्‍वीर भी रचना शुरू कर दी है । लेकिन राकेट में बैठकर अंतरिक्ष व ग्रहों की सैर करते इस विश्‍व में अब भी कई मूसलपंथी हैं जो आज तक बैलगाड़ी का पहिया थामें हैं औंर माया मोहवश उसे छोड़ना ही नहीं चाह रहे, इन कूप मण्‍डूकों ने भारत का बहुत नुकसान किया है । घुन की तरह देश को खाया है । देशभक्ति की खाल में भ्रष्‍ट और देशद्रोहीयों की पूरी एक फौज छिपी बैठी है । जल्‍द से जल्‍द और तुरन्‍त भारत को इन तत्‍वों से मुक्ति पानी होगी ।

भला कौन ऐसा देशभक्‍त होगा, जो भारत को विकासशील से विकसित भारत में बदलते नहीं देखना चाहेगा, या कौन ऐसा देश का सपूत होगा जो भारत में लगे दीमक या घुन रूपी भ्रष्‍टाचार को सतत रहने देना चाहेगा, इसके बावजूद देशभक्ति और अलां फलां सेनानी का राग अलापने और देश को कुयें में ढकेलने या 'खाओ और खाने दो ' के सिद्धान्‍त को निरन्‍तर रखने के हामी हैं तो ऐसे लोगों को तो देश भक्‍त कहना या मानना ही सबसे बड़ा देश द्रोह है ।

जो भी भारतवासी भ्रष्‍ट है, रिश्‍वत लेता है वह कतई देशभक्‍त तो ही नहीं सकता उसे भारतीय तो कहा ही नहीं जा सकता । रिश्‍वत देना मजबूरी हो सकती है लेकिन रिश्‍वत लेना तो क्‍लीयरकट देशद्रोह है ।

अगर इस प्रकार के लोगों की बर्दाश्‍तगी जारी रही तो और हम इन तत्‍वों को यदि इस देश में रहने देते हैं तो सबसे बड़े देशद्रोही तो हम सब ही हैं ।

 

अगले अंक में जारी ............