शुक्रवार, 5 नवंबर 2010

दीपावली पर बिजली कटौती सिर चढ़ कर बोली, म.प्र. में त्यौहार अंधेरे में

सोमवार, 1 नवंबर 2010

कलियुग वर्णन – श्री महाभारत खिलभाग हरिवंश पुराण भाग -1, प्रस्‍तुति – नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘’आनन्‍द’’

कलियुग वर्णन श्री महाभारत खिलभाग हरिवंश पुराण भाग -1

प्रस्‍तुति नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

प्रस्‍तुत श्‍लोकार्थ भी महाभारत खिलभाग हरिवंश से हिन्‍दी टीका सहित ज्‍यों के त्‍यों प्रस्‍तुत किये जा रहे हैं , किसी आलोचना प्रत्‍यालोचना के लिये इनमें कोई गुंजाइश नहीं है यह प्रस्‍तुति मात्र है । मूल संस्‍कृत श्‍लोक सबके लिये ग्राह्य एवं सबकी समझ में न आने से नहीं दिये जा रहे, यहॉं केवल उनके यथावत हिन्‍दी अर्थ दिये जा रहे हैं ।   

भाग -1

जन्‍मेजय ने कहा महर्षे । हमारा मोक्षकाल निकट है या दूर, यह हम लोग नहीं जानते अत: जिसने द्वापर को अधर्म की अधिकता से दूषित कर दिया है, उस युगान्‍त अर्थात कलियुग का वर्णन सुनना चाहता हूं ।।1।।

कलियुग में मनुष्‍य थोड़े से आयास से किये जाने वाले सत्‍कर्म द्वारा सुखपूर्वक महान धर्म के फल की प्राप्ति कर सकता है, इस प्रकार इस धर्म विषयक लोभ से हम लोगों ने उस कलिकाल में जन्‍म ग्रहण किया है ।। 2।।

व्‍यास जी बोले राजन । कलियुग में प्रजाओं की रक्षा न करते हुये उनसे कर लेने वाले राजा उत्‍पन्‍न होंगें, जो सदा अपने शरीर मात्र की रक्षा में संलग्‍न रहेंगें ।। 5।।

कलियुग में जो क्षत्रिय नहीं हैं, ऐसे लोग भी राजा होंगे । ब्राह्मण लोग शूद्रों के आश्रित होकर जीविका चलायेंगे और शूद्र ब्राह्मणों के से आचार का पालन करने वाले होंगे ।।6।।

जन्‍मेजय । कलियुग में धनुष बाण धारण करने वाले (क्षत्रिय वृत्ति से जीने वाले ) ब्राह्मण और श्रोत्रिय ब्राह्मण दोनों एक पंक्ति में बैठकर पंचयज्ञों से रहित हविष्‍य में भोजन करेंगे ।।7।।

जन्‍मेजय कलियुग में मनुष्‍य शिल्‍प कर्म करने वाले, असत्‍यवादी मदिरा और मॉंस के प्रेमी तथा पत्‍नी को ही मित्र मानने वाले होंगे ।।8।।

युगान्‍त काल कलियुग में चोर राजोचित वृत्ति से रहेंगें औरा राजाओं का स्‍वभाव चोरों के समान हो जायेगा तथा सेवक उन वस्‍तुओं का भी उपभोग करेगें, जिन्‍हें भोगने के लिये उन्‍हें स्‍वामी की ओर से आज्ञा नहीं मिली हो ।।9।।

कलियुग में धन ही सबके लिये स्‍पृहणीय होंगे, सत्‍पुरूषों के आचार व्‍यवहार का आदर नहीं होगा और धर्म से पतित हुये मनुष्‍य के प्रति निन्‍दाभाव रखने वाले कोई न होंगें ।। 10।।

मनुष्‍य धर्म और अधर्म से विवेक रहित होंगे, विधवायें तथा सन्‍यासी परस्‍पर समागम करके बच्‍चे पैदा करेंगे । सोलह वर्ष से कम आयु अवस्‍था वाले मनुष्‍य भी संतानोत्‍पादन करेंगें ।। 11।।

कलियुग में जनपद के लोग अन्‍न बेंचेंगें, चौराहों पर द्विज लोग वेदों का विक्रय करेंगें और युवती स्त्रियां मूल्‍य लेकर व्‍यभिचार करने वालीं होंगीं ।।12।।

उस समय सब लोग ब्रह्मवादी हो जायेंगें (ब्रह्मवाद की आड़ लेकर कर्म भ्रष्‍ट हो जायेंगें ) दूसरी शाखाओं का लोप हो जाने के कारण सभी अपने को वाजसनेयी शाखा का बतलायेंगें और शूद्र अपने से बड़ों के सम्‍मान में केवल मो (अजी) कहने वाले होंगें ।। 13।।

युगान्‍तकाल में ब्राह्मण लोग तप और यज्ञ  के बेचने वाले होंगें । उस समय सभी ऋतुयें विपरीत स्‍वभाव की हो जायेंगीं ।। 14।।

क्रमश: जारी ...... अगले भाग में